रविवार, 14 अगस्त 2011

कविता : पानी बरसा

पानी बरसा 
पानी बरसा झम-झम-झम,
सामग्री लेने निकले थे जब हम.....
बूंद गिरी मेरे सर पर,
बिजली गिरी आसमान पर.....
पानी बरसा धरती में,
मोर नाच रहे हैं जंगल में......
कोयल गाती पेड़ों में,
हम भींग रहे हैं पानी में....
पानी में जब पानी गिरता है,
तब खाली गड्ढा भी भरता है.....
येसी बारिश में बच्चे खूब नहाते हैं,
किसान को अपने हरे-भरे खेत सुहाते हैं.....
जब न बरसे पानी,
तुम याद करो कोई एक कहानी.......
फिर सबको सुनाओ 
बारिश हो जब कूंद-कूंद नहाओ 
लेखक : आशीष कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर  

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