रविवार, 23 अक्तूबर 2011

मैं सोचता हूँ

मैं सोचता हूँ 
क्या लिखूं  क्या याद करूँ ,
मन में कुछ उमंग सी उठती है....
ह्रदय में कुछ स्फूर्ति सी आती है ,
मस्तिष्क में आवेग सा उत्पन्न होता है ....
मुझे कविता लिखना ही पड़ता है ,
उस समय नहीं रहती किसी विषय की चिंता ....
कोई भी विषय क्यों न होता ,
उसमे अपने मन को आवेग से भर देते है ....
और जो कविता मन में उठती है,
हम उसको लिख देते हैं ....
लिखावट कितनी भी ख़राब हो ,
हमें लिखने की कोशिश करनी चाहिए ...
उठते हैं जो हमारे मन में विचार ,
उन्हें लिखना  ही चाहिए ....
नाम :मुकेश कुमार 
    कक्षा :10                
अपना घर ,कानपुर 

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