शनिवार, 10 दिसंबर 2011

कविता : सर्दी

 सर्दी 
पड़ने लगी है अब सर्दी ,
सर्दी ने तो है हद कर दी.....
पड़ने लगा कोहरा अचानक,
दूसरे दिन से शुरु सर्दी भयानक ....
अब तो बस सबको भाई ,
 भाती है बस रजाई......
निकाल लिए हैं कपडें गरम,
कोई है गरम तो कोई नरम.......
ठंडे-ठंडे इस पाने से,
लगता है अब सबको डर....
लेकिन इसका उपयोग तो ,
होता है घर-घर  ......


लेखक : धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा : 9 
अपना घर 
 

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