शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012

कविता :-इस वर्ष

इस वर्ष 
जब चला था मैं....
घर से निकलकर,
तो देखा आगे थोड़ी दूर चलकर....
एक गाय के बच्चे की लाश पड़ी थी,
उसको खाने की ताक में....
आस पास कई कुत्ते खड़े थे,
अगर ऐसा होता रहा....
इस वर्ष की ठंडी में,
तो नहीं हो पायेगा भण्डारण....
दूध का दूध की मंडी में, 
नाम :-ज्ञान कुमार 
कक्षा :-8 
अपना घर 

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