मंगलवार, 22 सितंबर 2015

जो सोच नहीं सकते

जो सोच नहीं सकते  
उसे हम कैसे सोचे 
कोई बताए हम क्या
उसको कैसे मदद करे 
कोइ बताये हम क्या  करे  
जो चलते है हाथ पीछे हटाये 
उसको कैसे मिलाअ 
  कोइ तो बताए हम क्या करे 
             
                                                                    नितीश कुमार 
                                                                        कक्षा -५ 
                                                                              अपना घर , कानपुर           

4 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

बहुत अच्छी कविता !
अंकल मैं भी कक्षा पांच में पढ़ता हूँ, क्या मैं भी यहाँ अपनी कविता पोस्ट कर सकता हूँ ?

BAL SAJAG ने कहा…

जी हां आप इस अपनी कविता पोस्ट कर सकते हो /

BAL SAJAG ने कहा…

शाश्वत मै भी आपके ही उम्र का हूँ . मै नितीश हूँ मै भी कक्षा 5 में पढता हूँ. ये ब्लाग मै और मेरे दोस्त मिलकर चलाते है. इस ब्लाग पर हम बच्चों की मौलिक स्व रचित रचनाये प्रकाशित करते है.. आप भी इसका हिस्सा हो सकते है. कृपया इस मेल पर apnagharknp@gmail.com पर अपनी कविता/कहानी/पेंटिंग भेज दे हम उसे ब्लाग पर जरुरु प्रकाशित करेंगे .. धन्यवाद
नितीश कुमार
संपादक
बाल सजग

Unknown ने कहा…

waah !