शनिवार, 7 जनवरी 2017

कविता: ये काले काले बादल

"ये काले-काले बादल"

ये काले-काले बादल,मचलना चाहते है,
गरज गरज कर कुछ कहना चाहते  है । 
ये बादल शायद हमको बुलाते  है ,
बूंद के बौछार से ये मन बहलाते  है
दूर खड़े रहूँ तो मेरा मन ललचाता है,
अगर भीग जाऊ तो दिल बहल जाता है। 

कवि: देवराज, कक्षा 6th, अपना घर

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