बुधवार, 7 फ़रवरी 2018

कविता : बस्ता

" बस्ता "

मेरा बस्ता है सबसे सस्ता, 
धुलने पर सूंदर है दिखता | 
स्कूल से लेकर घर तक जाता,
हर पल हर दिन साथ निभाता |  
अच्छी खातिर करता हूँ, 
स्कूल में इसी के साथ पढ़ता हूँ | 
दो बद्धी , चार है चेन, 
न हो तो हो जाऊँ बेचैन | 
हल्का रखता बोझ न देता, 
जितना हो उतना ही भरता | 

नाम : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 8th , अपनाघर 

कोई टिप्पणी नहीं: