शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024

कविता:" आंबेडकर जयंती "

" आंबेडकर जयंती "
आज बात कर रहे है उनका ,
जिसने भारत देश को स्वतंत्र बनाया | 
गरीबों के हक़ के लिए आवाज उठाया ,
और उन लोगो को सही सम्मान दिलाया | 
दलितों के लिए नवदीप जलाया ,
समाज में नया परिवर्तन लाया | 
और नीच जाती के लोगो को उच्च जाती तक पहुँचाया ,
लोकतंत्र देश के लिए बड़ा योगदान निभाया | 
                                                                                                                         कवि :नवलेश कुमार ,कक्षा :10th
                                                                                                                                                          अपना घर  

गुरुवार, 18 अप्रैल 2024

कविता :"आंबेडकर जयंती "

"आंबेडकर जयंती "
जिस जगह से मैं  गुजरूं ,
वह जगह अपवित्र हो जाता | 
जिस कुंआ का पानी मैं पिया ,
वह कुंआ का पानी अपवित्र हो जाता | 
हर कदम और हर जगह पर ,
छुवा -छूत से लड़ना पड़ता | 
इस समाज  में हर कठिनाइयों  को सहना पड़ता ,
जब एक ने आवाज इस पर उठाई | 
हजारो की संख्या के साथ लोग है आए ,
हर एक चीजों से हम सब को आजाद है कराया | 
छुवा -छूत और जात -पात से ,
इस समाज से छुटकारा है दिलाया | 
जिस जगह से मैं गुजारूं ,
उस जगह पर चैन से सो सकूं | 
                                                                                                                       कवि :संजय कुमार , कक्षा:12th
                                                                                                                                                      अपना घर 
  
                                                                                    






 

बुधवार, 17 अप्रैल 2024

कविता : "मुसाफ़िर "

 "मुसाफ़िर "
हम मिसफ़िर बनकर | 
निकल पड़े अनोखी राह की तलाश में,
न तपती धूप की परवाह | 
न आंधी और तूफान की ,
और न वह डरावनी रातों की | 
 हम सब निकल पड़े ,
ढलते सूरज की ओर | 
चमकते लालिमा को देखकर ,
टिमटिमाते तारो को देखकर| 
बहती शीतल हवाओं में ,
 हम सब निकल पड़े| 
                                                                                                                     कवि : अमित कुमार , कक्षा :10th 
                                                                                                                                                      अपना घर 



 


रविवार, 10 सितंबर 2023

कविता :"हिंदी दिवस "

"हिंदी दिवस "
 ये शाम है बहुत सुहानी | 
जहां पर हो रही है कविताएं की बारिश 
नन्हे -मुन्हे की अपनी कहानी | 
बड़ों ने इस पर है जान डाली 
हिंदी के अछर है याद दिलाता | 
इसकी महत्व की गीत  सुनाते 
इस महफ़िल में सब गुन गुनाते | 
हिंदी की मिलकर मान बढ़ाते 
ये शाम है बहुत सुहानी | 
जहाँ पर हो रही है कविताओ की बारिश 
कवि :कुल्दीप कुमार ,कक्षा :12th 
अपना घर 

रविवार, 3 सितंबर 2023

कविता:"समय "

"समय "
 समय के साथ सब बदल रहा है | 
पहले हर वक्त शोर मचाते थे 
अब शांत रहने में मज़ा आ  रहा है | 
समय के साथ सब बदल रहा है 
पहले  सब के साथ मिल कर रहते थे  | 
अब अकेले रहने में मज़ा आ रहा है  
समय के साथ सब बदल रहा है | 
 जो बातें सब के साथ शेयर किया करते थे 
अब वह बातें छिपाने में मज़ा आ रहा है |  
समय के साथ सब बदल रहा है 
कवि :कामता कुमार ,कक्षा :12th 
अपना घर 

बुधवार, 16 अगस्त 2023

कविता : " खुद की दुनियाँ "

 "  खुद की दुनियाँ "
काश खुद का एक दुनिया होता |  
दिन रात सपनों में होता 
टिमटिमाते हुए तारों  देखता | 
गोल से  चाँद को ताकत 
अपनी भी एक दुनिया होता | 
उसमे मैं राजा होता 
काश खुद का एक दुनियाँ होता | 
परिंदों की तरह भटकता ना फिरता 
 अपनी जिंदगी मजे से जीता | 
काश खुद का  दुनिया होता 
कवि :अजय कुमार ,कक्षा:9th
 अपना घर  

सोमवार, 14 अगस्त 2023

कविता :"छवि "

"छवि "
 अपनी छवि को देख देख | 
सही गलत समझ नहीं पा रहा हूँ 
अब छोटी छोटी बातों में भी | 
उदास रहने लगा हूँ 
कभी कभी सोचता हूँ | 
कि अपने भूत भूल जाऊँ 
पर जितना भूलना चाहता हूँ |
 उतना ही याद करने लगा हूँ 
भविष्य में क्या करना है | 
ये भी नहीं सोच  रहा हूँ 
जब भी उनकी तस्वीर देखता हूँ | 
तब तब रोने लगा हूँ 
कवि :महेश कुमार ,कक्षा :9th 
अपना घर 

रविवार, 13 अगस्त 2023

कविता :"आज़ादी "

"आज़ादी "
 आज़ादी की राह थी मुश्किल | 
लोग भूल गए जान गई थी जिनकी 
सब अपना -अपना  काम बनाते | 
स्वतंत्र दिवस पर इनके नाम गाते 
कितने भोले है यह इंसान | 
कुछ खो बैठे है अपना ही इमान 
कितना संघर्ष था उनके जीवन में | 
 फिर भी जान दे दी आज़ादी लेने में 
अब लोगो को फर्क नहीं पड़ता इसपर | 
आपस में ही लड़ रहे है दिन भर 
आज़ादी की राह थी मुश्किल | 
लोग भूल गए जान गई थी जिनकी 
कवि :कुलदीप कुमार ,कक्षा :12th 
अपना घर 

शुक्रवार, 11 अगस्त 2023

कविता "हौसला है बुलंद "

"हौसला है बुलंद "
जिंदगी अब वीरान सी  गई है 
हर वक्त बस  समय मार हो गई 
जो सपने देखे खुद के अपने 
वो अब बे जान सी हो  गई है 
दिन अब रात भी लगने लगे है 
इस वक्त की मार से आँखों से उड़ने लगे है
हौसला अभी भी बुलंद है उस सपने को लेकर 
बस मुझे पल और समय का इंतजार है 
ये जिंदगी अब वीरान सी हो गई है 
कवि: पंकज कुमार ,कक्षा :8th 
अपना घर 

 

रविवार, 6 अगस्त 2023

कविता : " रिम - झीम -रिम झीम बारिश आई "

" रिम -  झीम -रिम झीम  बारिश आई "


  रिम -  झीम -रिम झीम  बारिश आई | 

यँहा -वँहा काले -काले बादल आए | 

खूब गरज कर शोर मचाए | 

बारिश होने को बतलाए | 

रिम -झिम रिम -झिम बारिश आई | 

गर्मी से ,अब राहत आई | 

यँहा -वँहा बादल छाए | 

बच्चे बारिश में अब खूब नहाए | 

रिम -झिम रिम -झिम बारिश आई | 

यँहा -वँहा बादल छाए |  

                                                                                                            कवि :सनी कुमार  ,कक्षा :12 

                                                                                                                                  अपना घर  

शुक्रवार, 4 अगस्त 2023

कविता : " सफर"

 " सफर"

 कहाँ से कहाँ आ गया 

और भी किधर है जाना 

अंजान हूँ हर एक अगले कदम का 

मैं तो सिर्फ चलता जा रहा हूँ 

न होश है न खबर 

मैं और मेरा सफर 

डरा हूँ सोंच उस बारे में 

जो आने वाला कल भर में है 

टूट बिखर या चलता ही बनूँगा 

इस अपनी एक सफर में थककर हारूंगा या बुझ कर 

फिर चमक खिलूँगा 

मैं बेघर इस ख़ामोशी सफर का 

बस है इंतजार  उस किनारे तक का 

मैं और मेरा सफर 

कवि :पिंटू कुमार ,कक्षा :8 

अपना घर