शुक्रवार, 10 नवंबर 2017

कविता : पढ़ाता है तू,

" पढ़ाता है तू, " 

अनपढ़ों को पढ़ाता है तू, 
सबके दिल को छू जाता है तू | 
इस देश के वासियों को, 
अच्छी बातें है बताता तू | 
हिंसा तेरे बस में नहीं ,
अहिंसा का पाठ पढ़ाता | 
अगर तू ये काम न करता,
गाँधी नहीं कहलाता तू | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर

कवि परिचय : यह हैं समीर कुमार जो की इलाहबाद से अपनाघर में पढ़ाई के लिए आएं हैं | संगीत इनका मनपसंद चीज़ है | कवितायेँ लिखने के साथ -साथ अच्छे -अच्छे गीत भी लिखा करते हैं | माता -पिता की ख्वाहिश है की ह पढ़ लिखकर कुछ समाज के लिए काम करे |  

5 टिप्‍पणियां:

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 14 नवम्बर 2017 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अच्छी रचना है ...

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत सुन्दर ....,

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत सुन्दर ....,

Meena sharma ने कहा…

अच्छा लिखा है।