गुरुवार, 10 मई 2018

कविता समाज

" समाज "

समाज क्या कहेगा हम यही, 
सोचकर पीछे रह जाते हैं | 
कुछ किय बिना ही समुद्र ,
की लहरों में बह जाते हैं | 
बस यही सोचकर हम इस, 
दुनिया में खो जाते हैं | 
आँसू की हर एक बूँद, 
गर्म रेत में खो जाती है |  
लाख कोशिश के बाद भी, 
लौट कर नहीं आती है | 
कुछ नहीं सिर्फ अपनी जिंदगी,
की कोशिशों में रह जाते हैं | 

नाम : विशाल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह हैं विशाल और यह हरदोई के रहने वाले हैं | विशाल दिल से बहुत कठोर और शायद यही वजह है की यह कविताएं बहुत ही कठोर वाली लिखते हैं | विशाल बड़े होकर रेलवे में काम करना चाहते हैं | 

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